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Wednesday, May 25, 2022
Saturday, April 23, 2022
World Book and Copyright Day & English Language Day
World Book and
Copyright Day is an annual event that goes by name like World Book Day or International
Day of the Book.
The Day is marked every year to celebrate and promote the enjoyment of Reading Books.
Today on 23rd April
celebrated as World Book and Copyright Day
across the world by UNESCO
Ø To honour
authors and Books.
Ø To
Promote art of reading ,writing, translating, publishing and copyright.
It was
first celebrated on 23rd April 1995.
UNESCO
has selected the 23rd April as World Book Day and Copyright Day to
pay respect to renowned literary personalities including
William
Shakespeare
Miguel
Cervantes and
Inca
Garcilaso de la Vega
All died
on this date.
This Date was natural choice for UNESCO’s
General Conference held in Paris in 1995, to pay a world wide tribute to books
and authors on this date, encouraging everyone to access book.
ENGLISH LANGUAGE DAY
English Language day is observed annually on April 23. It marks the birthday and date of death of famed writer William Shakespeare. English Language Day is observed annually on April 23. The aim is to celebrate multilingualism and cultural diversity by exploring the language.
Friday, April 22, 2022
World Earth Day Celebration (22 April)
World Earth Day was celebrated on 22.04.2022 in the Vidyalaya.
Drawing and slogan writing competitions were conducted on the day
Glimpse of Activities
Thursday, April 21, 2022
World Earth Day : 22 April
CLICK HERE TO PLAY QUIZ👉World Earth Day
WORLD
EARTH DAY
The World Earth Day, also known
as the International Mother Earth Day, is celebrated every year on April 22.
Countries across the globe come together to create more awareness about the
dire need to protect our environment. The day focuses on global climate crisis
that is worsening with each passing day.
On this special day, we emphasise
on the increasing environmental problems, including overpopulation, loss of
biodiversity, depleting ozone layer and rising pollution.
Why it is celebrated on 22 April”
?
The World Earth Day’s celebration
on April 22 is important because it is spring in the Northern Hemisphere and
autumn in the Southern Hemisphere around this time. As the weather is also
bearable at this time, it is more pleasurable to continue the celebrations of
Earth Day.
The theme of Earth Day 2023 is to ‘Invest in our planet’. In 2021, the theme was to ‘Restore our Earth’ and in 2020, the theme was ‘Climate action’.This year's theme "Invest in Our Planet" is focused on changing the business climate,the political climate,and how we take action on climate ,to preserve and protect our health,families and livelihood.
History of Earth Day
The Earth Day was first
celebrated on April 22, 1970. This was when the peace activist John Mc Connell
proposed to honour Mother Earth and the concept of peace during a UNESCO
conference in San Francisco.
The World Earth Day was earlier
decided to be celebrated on March 21, 1970 as the day one of spring in the
Northern Hemisphere. Thereafter, the US Senator Gaylord Nelson proposed to hold
nationwide environmental enlightenment on April 22, 1970, which was later
renamed as the 'Earth Day'
Why is Earth Day celebrated?
On Earth Day, millions of people
connect to discuss environmental issues like pollution and deforestation. Many
people participate and organise events to hold discussions around topics of
environmental literacy to educate young minds about various climate issues.
The day inspires us to act the protection of the environment and focus on the need
for conservation.
In order to increase awareness
about climate change on Earth Day, Google has made a series of animations of
four locations. When you visit the Google Search homepage on Chrome internet
browser today, you will be welcomed with a timelapse animation. These
animations will change every hour to showcase the effect of climate change over
a time period.
Sports Achivements at Cluster Level
Shipra Nandini(Class 10) won Gold Medal in Taekwondo U-17 (Cluster Level)
Aditi Parashar (Class 9 ) won silver medal in Judo (U-17) (Cluster level)
Thursday, April 14, 2022
Celebration of 131st Birth Anniversary of Dr.B.R.Ambedkar
Dr. Bheeem Rao Ambedkar
बाबासाहेब अंबेडकर का बचपन
Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi और उनके पिता मुंबई शहर के एक ऐसे मकान
में रहने गए जहां एक ही कमरे में पहले से बेहद गरीब लोग रहते थे इसलिए दोनों के एक
साथ सोने की व्यवस्था नहीं थी तो बाबासाहेब अंबेडकर और उनके पिता बारी-बारी से
सोया करते थे जब उनके पिता सोते थे तो डॉ भीमराव अंबेडकर दीपक की हल्की सी रोशनी
में पढ़ते थे। भीमराव अंबेडकर संस्कृत पढ़ने के इच्छुक थे,
परंतु
छुआछूत की प्रथा के अनुसार और निम्न जाति के होने के कारण वे संस्कृत नहीं पढ़
सकते थे। परंतु ऐसी विडंबना थी कि विदेशी लोग संस्कृत पढ़ सकते थे। भीम राव
आंबेडकर जीवनी में अपमानजनक स्थितियों का सामना करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने
धैर्य और वीरता से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई।
बाबासाहेब अंबेडकर की शिक्षा
डॉ भीमराव अंबेडकर
ने 1907 में मैट्रिकुलेशन पास करने के बाद एली
फिंस्टम कॉलेज में 1912 में ग्रेजुएट हुए। 1913 और 15 प्राचीन भारत व्यापार पर एक शोध प्रबंध लिखा था। डॉ भीमराव
अंबेडकर ने 1915 में कोलंबिया
विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की शिक्षा ली। 1917 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर ली। नेशनल
डेवलपमेंट फॉर इंडिया एंड एनालिटिकल स्टडी विषय पर उन्होंने शोध किया। 1917 में ही लंदन स्कूल ऑफ़
इकोनॉमिक्स में उन्होंने दाखिला लिया लेकिन साधन के अभाव के कारण वह अपनी
शिक्षा पूरी नहीं कर पाए। कुछ समय बाद लंदन जाकर लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से
अधूरी पढ़ाई उन्होंने पूरी की। इसके साथ-साथ एमएससी और बार एट-लॉ की डिग्री भी
प्राप्त की। अपने युग के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे राजनेता और एवं विचारक थे। भीम राव
आंबेडकर जीवनी कुल 64 विषयों में मास्टर
थे, 9 भाषाओं के जानकार थे,विश्व के सभी धर्मों के रूप में पढ़ाई की
थी
रचनावली
भीम राव आंबेडकर जीवनी में महत्वपूर्ण दो रचनावलियों के नाम नीचे
दिए गए हैं:
- डॉ बाबासाहेब आंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज [महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित]
- साहेब डॉ अंबेडकर संपूर्ण वाड़्मय [भारत सरकार द्वारा प्रकाशित]
डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें
भीम राव
आंबेडकर जीवनी में बाबासाहेब समाज सुधारक होने के साथ-साथ लेखक भी थे। लेखन में
रूचि होने के कारण उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। अंबेडकर जी द्वारा लिखित पुस्तकों
की सूची नीचे दी गई है:
- भारत का राष्ट्रीय
अंश
- भारत में जातियां
और उनका मशीनीकरण
- भारत में लघु कृषि
और उनके उपचार
- मूलनायक
- ब्रिटिश भारत में
साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण
- रुपए की समस्या:
उद्भव और समाधान
- ब्रिटिश भारत में
प्रांतीय वित्त का अभ्युदय
- बहिष्कृत भारत
- जनता
- जाति विच्छेद
- संघ बनाम
स्वतंत्रता
- पाकिस्तान पर
विचार
- श्री गांधी एवं
अछूतों की विमुक्ति
- रानाडे गांधी और
जिन्ना
- शूद्र कौन और कैसे
- भगवान बुद्ध और
बौद्ध धर्म
- महाराष्ट्र भाषाई
प्रांत
बाबासाहेब अंबेडकर के पास कितनी
डिग्री थी?
भारत रत्न Dr
Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के पास 32 डिग्रियों के साथ 9 भाषाओं के सबसे बेहतर जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ
इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने
में 8 साल की पढ़ाई पूरी की थी। वह लंदन
स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑल साइंस’ नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री
प्राप्त करने वाले भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति
हैं। प्रथम विश्व युद्ध की वजह से उनको भारत वापस लौटना पड़ा। कुछ समय बाद उन्होंने
बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में नौकरी प्रारंभ की। बाद में उनको सिडनेम
कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में
नौकरी मिल गयी। कोल्हापुर के शाहू महाराज की मदद से एक बार फिर वह उच्च शिक्षा के
लिए लंदन गए।
प्रयत्नशील सामाजिक सुधारक डॉ भीमराव
अंबेडकर
डॉ बी. आर. अंबेडकर ने इतनी असमानताओं का सामना करने के बाद
सामाजिक सुधार का मोर्चा उठाया। अंबेडकर जी ने ऑल इंडिया क्लासेज एसोसिएशन का
संगठन किया। सामाजिक सुधार को लेकर वह बहुत प्रयत्नशील थे। ब्राह्मणों द्वारा
छुआछूत की प्रथा को मानना,
मंदिरों में प्रवेश ना करने
देना, दलितों से भेदभाव, शिक्षकों द्वारा भेदभाव आदि सामाजिक सुधार करने का प्रयत्न किया। परंतु विदेशी शासन काल होने कारण यह
ज्यादा सफल नहीं हो पाया। विदेशी शासकों को यह डर था कि यदि यह लोग एक हो जाएंगे
तो परंपरावादी और रूढ़िवादी वर्ग उनका विरोधी हो जाएगा।
डॉ भीमराव अंबेडकर राजनीतिक सफर
1936 में
बाबा साहेब जी ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया था। 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली। अम्बेडकर जी अपनी इस पार्टी को आल इंडिया
शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया, इस
पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े
हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में
बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा। कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन
नाम दिया, जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने
लगे, लेकिन अम्बेडकर जी को ये बिल्कुल
पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया था। उनका कहना था अछूते लोग भी
हमारे समाज का एक हिस्सा है,
वे भी बाकि लोगों की तरह आम
व्यक्ति ही हैं। अम्बेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया व वाइसराय
एग्जीक्यूटिव परिषद उन्हें लेबर का मंत्री बनाया गया था।
बाबा साहेब आजाद भारत के पहले लॉ मंत्री भी बने थे।
डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन
डॉ भीमराव अंबेडकर सन 1948 से
मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे और वह 1954 तक
बहुत बीमार रहे थे। 3 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और
धम्म उनके को पूरा किया और 6 दिसंबर 1956
को अपने घर दिल्ली में अपनी
अंतिम सांस ली थी। बाबा साहेब का अंतिम संस्कार चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली
में किया गया। और इस दिन से अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में रोचक तथ्य
Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के बारे में रोचक तथ्य नीचे दिए गए
हैं-
- भारत के झंडे पर
अशोक चक्र लगवाने वाले डाॅ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ही थे।
- डॉक्टर भीमराव
अम्बेडकर लगभग 9 भाषाओं
को जानते थे।
- भीमराव अंबेडकर ने
21 साल की उम्र तक
लगभग सभी धर्मों की पढ़ाई कर ली थी।
- भीमराव अंबेडकर
ऐसे पहले इन्सान थे जिन्होंने अर्थशास्त्र में PhD विदेश जाकर की थी।
- भीमराव अंबेडकर के पास लगभग 32 डिग्रियां थी।
- बाबासाहेब आजाद
भारत के पहले कानून मंत्री थे।
- बाबासाहेब ने दो
बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन
दोनों बार हार गए थे।
- भीमराव अम्बेडकर
हिन्दू महार जाति के थे, जिन्हें समाज अछूत मनाता था।
- भीमराव अम्बेडकर कश्मीर में लगी धारा नंबर 370 के खिलाफ थे।
Sunday, April 10, 2022
Kendriya Vidyalaya Pragati Vihar celebrated Pustakouphar Utsav 2022
पुस्तकोपहार उत्सव 2022
Students donated their previous year textbooks to their juniors to
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- Protect Environment
- Reduce Global Warming
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