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जन्म | 14 अप्रैल 1891 मध्य प्रदेश, भारत में |
जन्म का नाम | भिवा, भीम, भीमराव, बाबासाहेब अंबेडकर |
अन्य नाम | बाबासाहेब अंबेडकर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | बौद्ध धर्म |
शैक्षिक सम्बद्धता | • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰) • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰) लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस०सी०,डीएस॰सी॰) ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ) |
पेशा | विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्दार्शनिक, लेखक पत्रकार, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर, सम्पादक |
व्यवसाय | वकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ |
जीवन साथी | रमाबाई अंबेडकर (विवाह 1906- निधन 1935) डॉ० सविता अंबेडकर ( विवाह 1948- निधन 2003) |
बच्चे | यशवंत अंबेडकर |
राजनीतिक दल | शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन स्वतंत्र लेबर पार्टी भारतीय रिपब्लिकन पार्टी |
अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं | सामाजिक संगठन: • बहिष्कृत हितकारिणी सभा • समता सैनिक दल शैक्षिक संगठन: • डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी • द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट • पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी धार्मिक संगठन: भारतीय बौद्ध महासभा |
पुरस्कार/ सम्मान | • बोधिसत्व (1956) • भारत रत्न (1990) • पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004) • द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012) |
मृत्यु | 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65) डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली, भारत |
समाधि स्थल | चैत्य भूमि,मुंबई, महाराष्ट्र |
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित ‘महू’ में हुआ था डॉ. भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। डॉ. भीमराव अंबेडकर जाति से दलित थे। उनकी जाति को अछूत जाति माना जाता था। इसलिए उनका बचपन बहुत ही मुश्किलों में व्यतीत हुआ था।
बाबासाहेब अंबेडकर सहित सभी निम्न जाति के लोगों को सामाजिक बहिष्कार, अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ता था। किंतु उन्होंने जीवन में आयी सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया व दुनिया में अपनी एक विशिष्ठ पहचान बनाई।
डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनके पिता मुंबई शहर के एक ऐसे मकान में रहने गए जहां एक ही कमरे में पहले से बेहद गरीब लोग रहते थे इसलिए दोनों के एक साथ सोने की व्यवस्था नहीं थी तो बाबासाहेब अंबेडकर और उनके पिता बारी-बारी से सोया करते थे। जब उनके पिता सोते थे तो डॉ भीमराव अंबेडकर दीपक की हल्की सी रोशनी में पढ़ते थे। भीमराव अंबेडकर संस्कृत पढ़ने के इच्छुक थे, परंतु छुआछूत की प्रथा के अनुसार और निम्न जाति के होने के कारण वे संस्कृत नहीं पढ़ सकते थे। परंतु ऐसी विडंबना थी कि विदेशी लोग संस्कृत पढ़ सकते थे। भीम राव अंबेडकर जीवनी में अपमानजनक स्थितियों का सामना करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने धैर्य और वीरता से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सन् 1907 में मैट्रिकुलेशन पास करने के बाद ‘एली फिंस्टम कॉलेज‘ में सन् 1912 में ग्रेजुएट हुए। सन 1913 में उन्होंने 15 प्राचीन भारतीय व्यापार पर एक शोध प्रबंध लिखा था। डॉ.भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। सन् 1917 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर ली। बता दें कि उन्होंने ‘नेशनल डेवलपमेंट फॉर इंडिया एंड एनालिटिकल स्टडी’ विषय पर शोध किया। वर्ष 1917 में ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में उन्होंने दाखिला लिया लेकिन साधन के अभाव के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।
कुछ समय बाद लंदन जाकर ‘लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स‘ से अधूरी पढ़ाई उन्होंने पूरी की। इसके साथ-साथ एमएससी और बार एट-लॉ की डिग्री भी प्राप्त की। वह अपने युग के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे राजनेता और एवं विचारक थे। भीम राव अंबेडकरजी कुल 64 विषयों में मास्टर थे, 9 भाषाओं के जानकार थे, इसके साथ ही उन्होंने विश्व के सभी धर्मों के बारे में पढ़ाई की थी।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में अंबेडकर वर्ष 1915 -1917 में 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी एम.ए. परीक्षा पास की, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर रिसर्च कार्य प्रस्तुत किया।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ अंबेडकर सन् 1916 – 17 से सन् 1922 तक एक बैरिस्टर के रूप में लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया।
भीम राव अंबेडकर जीवनी में बाबासाहेब समाज सुधारक होने के साथ-साथ लेखक भी थे। लेखन में रूचि होने के कारण उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। अंबेडकर जी द्वारा लिखित पुस्तकों की लिस्ट नीचे दी गई है-
भारत रत्न बाबा साहेब अंबेडकर के पास 32 डिग्रियों के साथ 9 भाषाओं के सबसे बेहतर जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की थी। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑल साइंस’ नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं। प्रथम विश्व युद्ध की वजह से उनको भारत वापस लौटना पड़ा। कुछ समय बाद उन्होंने बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में नौकरी प्रारंभ की। बाद में उनको सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। कोल्हापुर के शाहू महाराज की मदद से एक बार फिर वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए।
बाबा साहेब अंबेडकर को अपने महान कार्यों के चलते कई पुरस्कार भी मिले थे, जो इस प्रकार हैं:
बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में रोचक तथ्य नीचे दिए गए हैं-
This day is observed to mark the significance of the constitutional values amongst the citizens of India. In the year 2015, it was declared as the constitution day as a part of the celebration on the 125th birth anniversary of Dr BR Ambedkar.This day is celebrated to create awareness of the importance of the Indian constitution and the main contributor, Dr BR Ambedkar.
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14 नवंबर : विश्व में कब कहां मनाया जाता है बाल दिवस, जानें रोचक बातें
आजादी का अमृत महोत्सव ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी -3 क्लिक 👉 पंडित जवाहर लाल नेहरू
Children's Day: 14 नवंबर की तारीख इतिहास में स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है. इस दिन को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्में जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से खासा लगाव था और बच्चे उन्हें ‘‘चाचा नेहरू’’ कहकर पुकारते थे. भारत में 1964 से पहले तक बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद उनके जन्मदिन अर्थात 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया.
कई देशों में एक जून को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. कुछ देश संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप 20 नवंबर को बाल दिवस मनाते हैं. आइए जानते हैं ऐसी ही रोचक जानकारी.
Children’s Day 2024: Children’s Day or Bal Diwas is celebrated across the country on November 14. The day marks the birth anniversary of Pandit Jawaharlal Nehru, the first prime minister of India. Fondly called Chacha Nehru by children, he advocated for an all-rounded education of children that would build a better society in the future. Jawaharlal Nehru considered children the real strength of a nation and foundation of society.
Prior to Pandit Nehru’s death, India celebrated Childrens Day on November 20 -- the day observed as World Children’s Day by the United Nations. After the death of the first prime minister, his birth anniversary was chosen as the date for Children's Day in India.
Children’s Day 2024: History And Significance
After the death of Jawaharlal Nehru in 1964, a resolution was passed in the Indian Parliament to mark his birth anniversary as Children’s Day.
Apart from tribute to Pandit Nehru, Children’s Day also aims to increase awareness of the rights, care and education of children. In Jawaharlal Nehru’s words, “The children of today will make the India of tomorrow. The way we bring them up will determine the future of the country.”
Schools hold sports events, quiz competitions and other activities to celebrate Children’s Day. Children are presented with toys, sweets and gifts to make the day special for them.
Vigilance Awareness Week is an initiative by the Central Vigilance Commission (CVC) to combat corruption in India through awareness, education, and active participation of citizens. This week-long observance serves to strengthen ethics and transparency within governance and public administration, aligning with Sardar Vallabhbhai Patel’s birth anniversary on October 31.
Dates : October 28 to November 3, 2024
Theme : “Culture of Integrity for Nation’s Prosperity”
Objective : To foster a vigilant society that actively opposes corruption, promotes moral principles, and supports ethical governance.
Raise Awareness
Encourage Reporting and Action
Promote Integrity in Governance
Anti-Corruption Focus
Public Education
Preventive Vigilance Initiatives
Capacity Building
Systemic Enhancements
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